1 Part
196 times read
7 Liked
बयार सी महकती मैं, आसमाँ सी स्वछंद। बारिश की बूंदों सी अल्हड़ मैं, धरा पर नाचती मोर सी मैं, सुबह का सूरज भी मैं ही हूँ और, तिमिर को रोशन करता ...